जब मैं ना रहूँ ... इतना याद रहे...
मेरे साथ बहे वो थोड़े आंसू ...और खुल के वो जोर का हसना याद रहे ...
कभी जब भीड़ में तन्हा पाओ खुद को...थी कोई परायी जो अपनी थी ये याद रहे...
जब कभी परेशान हो दुनिया की बातों से...थी कोई पगली सी जो थोड़ी सायानी थी ये याद रहे...
अपनों के संग जब भी दीपों का भी त्यौहार मनाओ तुम...जला था कोई दिए सा तुम्हारे लिए ये याद रहे...
जब कभी दुनिया रंगे तुम्हए अपने रंगों में...रंगा था कोई तुम्हारे रंग में कभी ये याद रहे...
जब कभी नींद ना आये रातों में...हमारा साथ में वो रात भर जागना याद रहे...
कभी जब गर्मी में जल के आओ ...तो वो कड़ाके की ठण्ड में कुल्फी खाना याद रहे...
जब कभी कोई सोचा काम हो जाये ...तो उस पे "ये अच्छा प्लान है " कहना याद रहे...
जब कभी कोई टेबल के निचे बैठ के रोटी खाए ...तो उसे प्यार से बिल्ली बुलाना याद रहे...
जब मैं ना रहूँ ... इतना याद रहे...