Tuesday, October 23, 2012

टुकड़ा टुकड़ा ज़िन्दगी !!!!

>कोई कहता है काशी में रहता है ...
कोई कहता है मस्जिदों में रहता है ...
मुझे तो बस इतना पता है...मेरा मंदिर , मस्जिद तो वहाँ है...
जहाँ मेरा ख़ुदा रहता है ... 

  >मेरी ख़ामोशी जो तू सुन पाए तो क्या बात हो...
मेरी आरज़ू में तू  मचल जाये तो क्या बात हो...
मैंने कर लिया बहुत प्यार तुझसे ...
मेरे इंतज़ार में अब तू रातें बिताये तो क्या बात हो ....  

    >कुछ छोटी छोटी ख्वाहिशे रह जाती है ...
                  कुछ खट्टी मीठी यादें रह जाती हैं ...
                  बहुत बातें करते है हर रोज़ तुमसे ...
                  फिर भी कहने को कुछ बातें रह जाती है ...


 > बन के ख़ाब जो तू मेरी आखों में उतर जाये तो क्या हो ?
बन के प्यार की सौगात ये शब् बरस जाये तो क्या हो?
यु तो तेरा मिलना मुझसे मुमकिन नही इस जहा में...
बन के जिन्गदी जो उस जहा में तू मिल जाये तो क्या हो?



  >बहुत दर्द , बहुत कसक थी जीने में तुझे देखा तो भूल गये , मेरा गम क्या था !!!



                     >अकेले कहा हो तुम , हम साथ चले है
                      खुशियाँ बाटी है तो आशु भी साथ बहे है
                      फीकी ज़िन्दगी कैसे हो सकती है तुम्हारी
                     तुम्हारी ज़िन्दगी में मैंने अपने ख्वाबो के रंग भरे हैं

>हम मंजिलो तक चलने का वादा करते है
तू अगर बस दो कदम साथ दे दे
सारे फासले मिटाने का वादा करते है
तू अगर मेरे हाथो में अपना हाथ दे दे

         > चाहो तो किस्मत भी बदलती है ...
            मांगने से तो रातों में भी रौशनी बरसती है...
             छु के आज मुझे भी कोई रूप दे दो ...
             सुना है तेरे छूने से मिटटी भी मूरत में बदलती है !!!

                    >जीते हम नही , तो मरा तुम भी करते हो...
                      सुलगते हम है , तो जला तुम भी करते हो...
                      मोहब्बत दोनों के दिल में है लेकिन फर्क बस इतना है...
                       की इश्क हम तुमसे , तुम किसी और से करते हो !!!

>बस तुझे पाने की हसरत की थी ...
तेरे साथ ज़िन्दगी बिताने की चाहत की थी ....
क्या मैंने कुछ ज्यादा माँगा था ...
की खुदा ने मुझसे मेरा सब कुछ छीन लिया !!!!


                                 >गयी तेरी बातें मुझे ऐसे बाँट के...
                             बस दो ही पल तो हम साथ थे..
                             फिर तेरे प्यार में इसे बहे हम...
                             कि हम ना घर के रहे ना घाट के .!!!!


>खुद की तलाश में भटकते रहे हम यहा से वहा
चले थे कहा से कहा को , और पहुंचे कहा
सोचा था मंदिरों , मश्जिदो में कही खुदा मिल जायेगा
और देख मेरी किस्मत ने मुझे तुझ से मिला दिया !!!


                         >जब लब हो खामोश , निगाहें बात करती हैं
                          मेरी तनहईयों तेरी सादएं बात करती है
                         समझ सको तो समझो मेरी खामोसी को
                        मुहोब्बत की ये एक अलग ज़ुबान होती है 


>ये दिल , ये कम्बखत हर वक़्त परेशान करता है ...
जाने क्यों ये बस तुम से प्यार करता है ...
जो कभी इसे मिल नही सकता ...
जाने क्यों ये उसी एक चीज़ की तलाश करता है !!! >सफ़र है तो मंजिलें भी मिलेंगी ...
एक बार मंजिलों का फैसला तो कर के देखो...
सारी मुश्किलें आसन हो जाएँगी...
एक बार दिल से हौसला कर के तो देखो!!!
   >खुद मर्ज़ दे के पूछते है , बता तेरे दर्द की वज़ह क्या है....
क्यों है इतना परेशान ए नादान , बता तेरे इस मर्ज़ की दवा क्या है ...
                                         





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